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पानी पिने का सही तरीका और समय - The Right Way and Time to Drink Water

 


"जल ही जीवन का आधार है, जल है तो जीवन है"

 

जल यानि पानी हमारे जीवन की तीन मूल आवश्यकताओं में से एक है। खाने के बिना तो लोग कुछ दिन जिन्दा भी रह लेंगे पर अगर पानी ना मिले तो कोई भी प्राणी अपने प्राण नहीं बचा सकता। 

दुनिया में जितना विकास हो रहा है उतना ही धरती का जल दूषित हो रहा है, जिसके कारण कई तरह की बिमारियों का सामना करना पड़ता है।   जल के बिना जीवन संभव नहीं है, प्यास बुझाने के अलावा, खाना बनाने, नहाने कपड़े धोने जैसे तमाम काम पानी के बिना संभव ही नहीं हैं। 


 

Youthinfohindi के आज के ब्लॉग में हम बात करने वाले है पानी पिने के सही तरीके, समय और नियमों के बारे में। जिसका पालन करके आप कई बिमारियों से बच सकते है। आप कहेंगे भला पानी पिने के नियम का पालन करके बिमारियों से कैसे बचा सकता है? जी हाँ ये सच है, चलिए चर्चा करते है। 

 

दोस्तों हमारे शरीर का तापमान सामान्यतः 36 डिग्री सेल्सियस होता है। इसके अनुसार अगर आप 32 - 40 डिग्री सेल्सियस तक का पानी पीते है तो ये पानी पिने का एकदम सही तरीका है। 

अगर आप एक विद्यार्थी है और आप सिर्फ ज्ञान को ग्रहण करने में दिलजस्पी रखते है तो आपको 8 डिग्री सेल्सियस के अंतर के साथ पानी पीना चाहिए, यानि आप 28 - 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान वाला पानी पी सकते है।  

और अगर आप एक गृहस्त है जिसे सिर्फ अपनी पत्नी, बच्चों या पति को सँभालने का काम है तो फिर आप दोनों तरफ 12 डिग्री सेल्सियस के अंतर के साथ का पानी पी सकते है यानि 24 - 48 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का पानी आपके लिए सही है। इन सब तापमान के अलावा कोई भी पानी का तापमान पीने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। लेकिन आजकल ऐसा सोचता कौन है, और ना ही ऐसी बातें किसी को पता ही है। कभी फ्रिज का पानी तो कभी बर्फ वाला पानी, मानते कहाँ है लोग। पर ये जरुरी है की आप जो भी पिए वो आपके शरीर के तापमान के अनुकूल हो। 

 

आप सब को ये जानकर आश्चर्य होगा की सिर्फ सही तरीके, सही समय और सही मात्रा में पानी पीने से कई बिमारियों से बचा जा सकता है। पानी पीने के नियमो का पालन करने से पाचन तंत्र तुरुस्त रहते है, कब्ज़ियत दूर होती है, कोलेस्ट्रॉल कम होने से हार्ट अटैक का खतरा भी टलता है, वजन कम और नियत्रित रहता है। 

अंग्रेजी में एक कहावत है "Prevention is better than Cure"  यानि की बिमारियों का इलाज करने से बेहतर है बिमारियों से बचाव करना। अगर आप सही मात्रा, सही समय और सही तरीके से पानी पीते है तो आपका पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और पाचन तुरुस्त रहेगा तो खाना ठीक से पचेगा, खाना ठीक से पचेगा तो सारे शरीर को पोषक तत्व सही मात्रा, सही समय और सही तरीके से मिलते रहेंगे जिससे बिमारियों का खतरा ही नहीं रहेगा। ज्यादातर बीमारियां पाचन तंत्र के सही ना रहने से होते है। 

तो आइये आगे बढ़ते हैं और Youthinfohindi के आज के इस ब्लॉग में जानते है पानी पीने के नियम और तरीके के बारे में। 

 

 

दिन की शुरुआत  - चाय नहीं पानी 

ज्यादातर लोग जब सुबह उठते है तो या तो वो सीधा फ्रेश होने और मंजन करने बाथरूम चले जाते है या फिर खली पेट ही गरमा गरम चाय पी लेते है उसके बाद फ्रेश होने जाते है। आपको बता दे की ये तरीका बिलकुल सही नहीं है। जब आप रात को सोने जाते है तो दिन भर जो कुछ भी आपने खाया होता है उसकी वजह से बहुत से विषैले पदार्थ और गैस हमारे पेट में बनते है। जब आप सुबह उठते ही चाय पीते है तो इससे कई तरह से सेहत को नुकसान पहुँचता है। इसमें कई तरह के ऐसिड मौजूद होते हैं, जो अल्‍सर या पेट संबंधित अन्य समस्याओं को बढ़ावा देते हैं। इतना ही नहीं इससे मेटाबॉलिज्म घटता है और हार्ट रेट बढ़ जाता है।

वही दूसरी ओर अगर आप गरम पानी पीते है तो इससे आपके शरीर से रात भर में बने विषैले पदार्थ नष्ट होते है। सुबह उठते ही बिना मंजन किये, बिना बाथरूम जाये कम से कम 2-3 गिलास गरम पानी पीना चाहिए। आप चाहे तो इसमें निम्बू का रस भी मिला सकते है। बहुत से लोग तो शहद मिला कर भी पीते है। बिना मंजन किये पानी पीने से रात भर मुँह में जमा लार पानी के साथ पेट में चला जाती है। आयुर्वेद में सुबह की लार को सोने से भी ज्यादा कीमती और महत्वपूर्ण बताया गया है। 

लार में टायलिन नामक एंजाइम पाया जाता है जो हमारी पाचन क्रिया को तुरुस्त करता है। इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, प्रोटीन और ग्लूकोज जैसे तत्व पाए जाते है। सुबह की लार को अपनी आँखों में काजल की तरह लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ती है। चेहरे पर लार लगाने से दाग धब्बे दूर होते है। कटे हुए या घाव पर लार लगाने से वो जल्दी भरते है। आपने जानवरों को देखा ही होगा उनको अगर चोट लगती है तो वो दवा नहीं खाते बल्कि चाट चाट कर ही घाव को ठीक कर लेते है। इंसान की तरह उनका लार भी उनके लिए उपयोगी है। 

 

 

 

भोजन के साथ पानी  - है विष के समान

आयुर्वेद के अनुसार भोजन को पचाने का काम जठर अग्नि करती है। जैसे ही हम खाना खाते है जठर अग्नि प्रज्वलित होती है। यह अग्नि भोजन को अच्छे से पचाती है, भोजन से पोषक तत्वों और त्याज्य पदार्थों (waste material) को अलग करती है। जब हम खाने के साथ या खाने के तुरंत बाद पानी पी लेते है तो ये अग्नि कमजोर पड़ जाती है। मान लीजिये अगर कही आज लगी हो और आप उसपे पानी डाल दें तो आग बुझ जाती है, जलती नहीं रहती। ठीक वैसे ही अगर खाने के बाद पानी पिया जाये तो ये अग्नि बुझ जाएगी। अगर अग्नि बुझ जाएगी तो खाना पचेगा नहीं सड़ जाएगा, जो कई सारी बिमारियों का कारण बनते है। 

अगर खाते समय आपको हिचकी आये या खाना अटक गया हो तो आप एक से दो घूंट पानी पी सकते है पर इससे ज्यादा नहीं। खाना खाने से लगभग 20 - 30 मिनट पहले पानी पीना चाहिए। भोजन के बाद कम से कम 1 घंटे बाद ही पानी पिए। खाना खाने के बाद 40 - 50 मिनट तक जठर अग्नि की तीव्रता ज्यादा रहती है। सोने जाते वक़्त या रात को जगने पर ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए क्यूंकि रात को हमारा शरीर दिन के मुकाबले कम सक्रिय रहता है, जिससे पानी हमारे शरीर में इस्तेमाल हुए बिना सीधे किडनी में फ़िल्टर होने पहुंच जाता है। वहां पानी किडनी को नुकसान पहुँचाता है साथ ही बार बार पेशाब जाने की जरुरत पड़ती है जिससे नींद भी ख़राब होती है। 

 

जब भी आप पानी पिए उसके तुरंत बाद पेशाब ना जाये और पेशाब करने के तुरंत बाद कभी भी पानी ना पिए। इससे ब्लैडर पर काफी बुरा असर पड़ता है और बार बार पेशाब जाने की परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

 

 

 

कौन सा पानी पिएं 

  • हमेशा गुनगुना पानी पिए - पानी को गरम करने से उसकी अशुद्धियाँ नष्ट हो जाती है। गरम पानी पीने से शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ता है जिससे शरीर की चर्बी कम होती है, कब्ज की समस्या से निजात मिलती है जिससे पाचन तंत्र मज़बूत रहता है। अगर आप दिन भर गरम पानी ना पी पाएं तो कम से कम सुबह सुबह खली पेट और रात को सोने से 1 घंटा पहले जरूर पिएं। 
  • RO का पानी कभी नहीं - RO का पानी शुद्ध होने के दौरान पानी में मौजूद पोषक तत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट इत्यादि पूरी तरह नष्ट हो जाते है। साथ ही पानी का पीएच स्तर भी कम हो जाता है। पानी में मौजूद ये पोषक तत्व ना मिलने से हमे कई सारी बीमारियां होने लगती है। 

अगर नियमित रूप से RO का पानी पीया जाये तो इसका बुरा प्रभाव हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। पाचन तंत्र के कमजोर होने से पेट संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर लम्बे समय तक RO के पानी का सेवन किया जाये तो इससे हृदय संबंधी समस्याएं, थकावट, सिरदर्द और दिमागी समस्याएं आदि हो सकती हैं।
RO
पानी में मौजूद क्षारीय खनिज हटने से यह पानी अधिक साफ़ हो जाता है लेकिन इसके बाद यह पानी एसिडिक हो जाता है जो शरीर के लिए बहुत हानिकारक है। यही नहीं, पानी में मौजूद कार्बोनिक एसिड हमारे शरीर से कैल्शियम की मात्रा को कम करने का काम भी करते हैं।
RO
पानी को साफ़ तो करता है लेकिन इस दौरान काफी मात्रा में पानी बर्बाद भी हो जाते हैं।

  • फ्रिज का ठंडा पानी कभी ना पिएं - पेट को ठन्डे पानी को गरम करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो खून से मिलता है। अगर पुरे शरीर का खून पेट को गर्म करने में लग जाएगा तो शरीर के बाकि अंगों में खून की कमी हो जाएगी। जिससे शरीर के प्रमुख अंग जैसे मस्तिष्क और ह्रदय सही तरीके से काम नहीं कर पाएंगे। ठंडा पानी पीने से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है जिससे बड़ी आंत में अम्ल जमा हो जाता है। इसके कारण पाईल्स जैसी कई गंभीर समस्या उत्त्पन्न हो जाती है। ठन्डे पानी को पचाने में ज्यादा समय लगता है जिससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system)  कमज़ोर पड़ जाती है। 

 

 

पानी पीने का तरीका 

आयुर्वेद कहा गया है पानी हमेशा बैठ कर, घूंट-घूंट करके पीना चाहिए। कभी भी गर्दन ऊपर करके गटागट पानी ना पिएं क्यूंकि इससे पानी के साथ बहुत सारी हवा हमारे पेट में चली जाती है जिससे शरीर के अंदरूनी अंगों में दबाब महसूस होता है। 

जब हम पानी घूंट-घूंट करके पीते है तो पानी के साथ मुँह की लार पेट में जाती है। लार क्षारीय (alkaline) होता है और पेट में हमेशा अम्ल (acid) बनता है। क्षार और अम्ल एक दूसरे के दुश्मन है। क्षार, अम्ल में मिले या अम्ल, क्षार में, दोनों के मिलने पर इसका असर उदासीन (neutral) हो जाती है। वैसे ही अगर लार पानी के साथ मिलके पेट में जाती है और पेट के अम्ल को शांत करती है। जिसके पेट का अम्ल शांत रहता है उनकी ज़िन्दगी में रोग आ ही नहीं सकता। 

  • खड़े होकर पानी ना पिएं - यह बात कम लोगों को पता होती है कि इंसान जिस अवस्था में पानी पीता है उसका भी अच्छा या बुरा असर उसकी सेहत पर पड़ता है। आयुर्वेद में खड़े होकर पानी पीने की मनाही है। खड़े होकर पानी पीने से एक तो व्यक्ति की प्यास नहीं बुझती दूसरा शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। खड़े होकर पानी पीने की वजह से पानी का बहाव तेजी से आपके शरीर से होकर जोड़ों में जमा हो जाता है। जिससे घुटनो और जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। 

खड़े होकर पानी पीने से खाने की नाली और स्वास नाली में होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है। जिसका असर ना केवल फेफड़ों पर बल्कि दिल पर भी पड़ता है। खड़े होकर पानी पीने से पेट के निचले हिस्से की दीवारों पर दबाव बनता है, जिससे पेट के आसपास के अंगों को बहुत नुकसान पहुंचता है। इस बुरी आदत के चलते कई लोगों को हर्निया का शिकार होना पड़ता है। 

 

 

पानी कितना पिएं

एक सामान्य व्यक्ति को दिन भर में कितना पानी पीना चाहिए यह बात सम्बंधित व्यक्ति की सेहत और वो जहाँ रह रहा है वहाँ के मौसम पर निर्भर करता है। एक सामान्य व्यक्ति को सामान्य मौसम में लगभग 2.5 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। 

मौसम के अनुसार पानी की मात्रा काम या ज्यादा की जा सकती है। 

बहुत ज्यादा और बहुत कम पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। आयुर्वेद में पानी कितना पिए उसका एक हिसाब है। उदाहरण के लिए अगर आपका वजन 60 किलोग्राम है तो उसे आपको 10 से भाग करना है फिर उसमे से 2 घटा देना है, तो ये होगा 60 / 10 = 6 - 2 = 4, इसका अर्थ ये हुआ की एक  60 किलोग्राम के व्यक्ति को एक दिन में कम से कम 4 लीटर पानी पीना चाहिए। 

 

दोस्तों हम जितना पानी पी रहे है वो हमारे शरीर के लिए पर्याप्त है या नहीं उसका पता आप अपने पेशाब के रंग से पता कर सकते है। अगर पेशाब का रंग पीला है तो इसका मतलब है की आपके शरीर में पानी की कमी है, आपको और पानी पीने की आवश्यकता है। अगर आपके पेशाब का रंग पानी जैसा ही है तो ये अच्छी बात है, इसका मतलब है की आपका शरीर पूरी तरह से हाइड्रेटेड है आपको और पानी की आवश्यकता नहीं है। 

 

 

दोस्तों इसी तरह सिर्फ पानी पीने के नियमो का पालन करके आप बहुत सी बिमारियों से निजात प् सकते है। पानी के नियमो का पालन करने से आपका वजन भी सामान्य रहता है। 

 

 

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